आकांक्षा मिश्रा जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग कानपुर यूनिवर्सिटी
अपराधों में हुई बढ़ोत्तरी
इन दिनों देश मे अपराध उफान पर है।आएदिन महिलाओं पर होने वाले अपराधों में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही हैं। इसमें सबसे ज्यादा मामले दुष्कर्म के आते हैं।ऐसे में सवाल यह है कि सियासी गुण- भाग में उलझे नेता कब देश की बेटियों की सुरक्षा अस्मिता और उन्हें बराबरी का हक देने के लिए कब कुछ करेगी।2012 में निर्भया कांड देश के कोने -कोने में गुंजा था। जिसने देश की आत्मा को झकझोर कर रख दिया था।जिसके बाद यूपीए सरकार ने तुरंत बेटियों के अस्मिता और बराबरी के लिए कई अहम फैसले ले लिए थे। जम्मू के कठुआ जिले में मासूम बच्ची के साथ जो हुआ उसे सुनकर तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं।कई दिन तक लगातार दुष्कर्म गला घोंटकर और फिर पत्थर से सिर फोड़ कर बेटी की हत्या कर दी गई।इससे जघन्य अपराध और मानवीय घटना और क्या हो सकती हैं। कही ऐसा तो नहीं कि इसे जानबूझकर धार्मिक मामला बनाया जा रहा हो।कल तक गांव की बेटी को देश की बेटी कहने वाला समाज इतना बुरा कैसे हो गया।क्या दुष्कर्म करने वालों को एक बार भी शर्म नहीं आई थी इनको एक बार भी अपनी बहन और माँ की याद नही आई।यहाँ एक बेटी खोई हैं वही राजनीति दल इस मामले को धर्म से जोड़ रहे हैं। उनको आसिफा का दर्द नहीं दिखाई दे रहा है कि उस बच्ची की जिन्दगी ही खत्म कर दी गई जब उसकी खेलने - खुदने की उम्र थी। अगर आज हमने आसिफा के अपराधियों को सजा दिलाने के लिए आवाज नहीं उठाई तो कल फिर कोई हमारी बेटी को आसिफा की तरह ही नोचने को तैयार घूमेगा। ऐसे माहौल को बदलने के लिए सरकार को कायदे- कानून में परिवर्तन करना होगा।वरना इस तरह के अपराधों में कोई कमी नहीं बल्कि वृद्धि होंगी। आसिफा के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं। उनको फाँसी की सजा मिलनी ही चाहिए क्योंकि इस घटना ने एक बार फिर से मानवता को शर्मसार कर दिया है।
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