रिपोर्ट--प्रीति चतुर्वेदी
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग कानपुर विश्वविद्यालय
बार कोड का फंडा, अंग्रेजी शराब व बीयर व्यापार ठंडा*
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कानपुर:- बार कोड का फंडा बीयर और अंग्रेजी शराब पीने वालों के लिए मुसीबत बना हुआ है। नए वित्तीय वर्ष के पहले सप्ताह में ही शराब का संकट खड़ा हो गया। इससे पियक्कड़ परेशान है तो दुकान संचालक घाटे में है। स्थिति यह है कि पूरे जिले के बीयर दुकानों में तो ताला पड़ गया। अंग्रेजी शराब की इक्का दुक्का दुकानें खुली है लेकिन उन पर शराब उपलब्ध नहीं है। मतलब अंग्रेजी शराब की एक बूंद भी लोंगो को अधिकृत दुकानों पर ढूंढे से नहीं मिल रही है। इन परिस्थितियों में शराब माफियाओं की मौज है। शहर में कुछ प्रमुख स्थानों पर तो युवा झोले में डालकर गैर प्रांतो की शराब बेंच रहे है। इसके लिए वह मंहगे दाम लोंगो से वसूल कर रहे है।
शराब असली है या नकली यह जांच अब शराब पीने वाले भी कर सकते है। इसके लिए शराब की बोतलों पर बारकोड व क्यूआर कोड अंकित रहेगा। मोबाइल एप भी बनाया गया है जिसके माध्यम से कोड अंकित करते ही पूरी डिटेल मिल सकेगी। यह व्यवस्था कितनी लाभकारी होगी यह तो अलग बात है लेकिन हाल के दौर मे आबकारी विभाग की आधी अधूरी तैयारी ने शराब व्यपार को प्रभावित करके रख दिया है। हर रोज शराब पीने के आदी लोग खासे परेशान है। वह अंग्रेजी शराब के लिए जिस दुकान पर जाते है वहीं से खाली हाथ लौटते है। बीयर की तो दुकानें ही नए सत्र में नहीं खुली है। विभागीय सूत्रों की माने तो एक अप्रैल के बाद जिले अंग्रेजी शराब की 1200 पेटी जिले को मिली थी। इसमें से सभी 64 दुकनों को उनकी क्षमता के आधार पर वितरित कर दिया गया था। यह शराब एक दिन के लिए भी नहीं हुई। जिले में शराब के शौकीन 1200 पेटी गटक गए। जिले में बीयर की 48 दुकानें है। इन सभी मे ताला बंद है। नए वित्तीय वर्ष में एक बोतल बीयर की नहीं आई है।
अंग्रेजी पीने वाले देशी से चला रहे काम
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पूरे जिले में 217 देशी शराब की दुकानें संचालित हो रही है। देशी शराब की पैकिंग पर कोडबार आ गया है। यही वजह है कि देशी शराब भरपूर मात्रा में मिल रही है। दुकानों पर निर्धारित मात्रा में शराब की उठान हुई है। शराब की दुकानों पर खासी भीड़ लग रही है। कुछ तो अंग्रेीज पीने वाले भी देशी से काम चला रहे है। दुकानों पर शराब की मांग अधिक है।
एक दिन में बिकती थी 50 से 60 हजार की शराब
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*शहर के जिला परिषद पर संचालित हो रही अंग्रेजी शराब की दुकान के सेल्समैन अवधेश चतुर्वेदी का कहना है कि शराब न आने से नुकशान हो रहा है। एक दिन में 50 से 60 हजार रुपये की शराब बिक जाती थी। अब माल ही उपलब्ध नहीं है तो खाली बैठे है।*
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