आकांक्षा मिश्रा एम०जे०एम०सी० कानपुर यूनिवर्सिटी
हालात में पूरी तरह सुधार अभी नही।
अभी हाल ही में सुनने में आया कि कई राज्यों के एटीएम में नगदी संकट की समस्या सामने आई हैं। ऐसे में तो जनता भी परेशान हो गई कि अगर ऐसा हैं तो ये पैसा गया कहा। एटीएम में नगदी न होने का कारण किसी की साजिश भी बताई गई। इस साजिश की तलाश में अधिकारियों ने तेजी से छापे मारने शुरू कर दिये।वही केंद्र सरकार ने दावा कर दिया कि देश की 86 फीसदी एटीएम में रुपये हैं। एटीएम में रुपये न होने का कारण तो कही विरोधी पार्टियों के काम लग रहा था। लेकिन वही अब लोगों की गलत फहमी को केंद्र सरकार ने दूर कर दिया। अब बात ये आती हैं कि अगर ऐसा था कि देश के किसी भी एटीएम में नगदी नहीं हैं तो ये अफवाह फैलाई किसने? केंद्र सरकार को ऐसी अफवाहो से बचने की जरूरत हैं क्योंकि इससे जनता के बीच उनकी छवि धूमिल हो सकती हैं। क्योंकि नगदी ज्यादातर भारतीयों के रोजमर्रा के जीवन और खर्च का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हालांकि कई भारतीयों के साथ यह स्थिति हैं। आंध्र और तेलंगाना से नगदी के गायब होने की राजनीतिक साजिश लग रही हैं क्योंकि इन दोनों राज्यों के केंद्र सरकार के साथ झगड़ा चल रहा है। कुछ समय बाद ही कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं इसलिए वहा राज्यनीतिक दलों द्वारा ज्यादा नगदी की मांग स्वाभाविक हैं। अब ऐसे में एटीएम का खाली रहना इस बात का दावा करता हैं कि हमारे नीति निर्माता ऐसी स्थितियों के लिए कितनी खराब योजनायें बनाता है। नोटबन्दी का ज्ञान फिर बहस में आ गया है क्योंकि इससे बीजेपी के विरोधियों को एक बार फिर से मौका मिल गया है उन पर उंगली उठाने का। लेकिन इससे नोटों की आपूर्ति सुधारने में सरकार को कोई बाँधा नहीं आनी चाहिए।जब तक कोई बिकल्प नही मिलेगा। अभी इतनी सारी समस्याओं को देखते हुए तो नही लग रहा है कि कोई संभव विकल्प निकाला जाए। सरकार को थोड़ा ध्यान और संयम रखने की आवश्यकता हैं।
आकांक्षा मिश्रा
एम०जे०एम०सी० कानपुर यूनिवर्सिटी
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