जितेंद्र पांचाल (मथुरा)
कोसीकलां।
नगर के आधा सैकडा बडे गांवों को जोडने वाला एकमात्र रेलवे-नहर पुल अपनी क्षतिग्रस्त अवस्था के कारण किसी बडे हादसे के इंतजार में है। प्रशासन भी शायद दिन व दिन किसी घटना की वाट जोह रहा है। ताकि सरकार को चेताया जा सके।
बताते चले कि कोसी शेरगढ को जोडने वाला पुल की म्याद 40 वर्ष पूर्व ही पूरी हो चुकी है। अंग्रेजों के जमाने का 1873 में बना ये पुल अब पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त है। इस सडक पर प्रतिदिन करीब 2 से 3 हजार छोटे बडे वाहन आते और जाते है। कई बार पुल पर चढने व उतरने के दौरान वाहन नहर व रेलवे लाइन पर गिरते गिरते भी बचे है लेकिन शुक्र मनाओं की कोई बडा हादसा अभी तक नहीं हुआ। बीते दिवस भी एक स्कूल के बच्चों से भरी एक बस पुल से उतरते समय गिरते गिरते बाल बाल बची। वहीं शनिवार को एक टैक्टर पुल पर चढते समय गिर गया। चालक टैक्टर गिरते ही साइड में कूद गया नहीं तो जनहानि भी हो सकती थी।
ऐसा नहीं है कि शासन प्रशासन, जनप्रतिनिधि आदि इस पुल के विषय में जानते नहीं है। उन्हें स्थानीय लोगो और समाजसेवी संस्थाओं ने अनेकों बार इस पुल की दुर्दशा के बारे में अवगत कराया है लेकिन किसी के कान पर अभी तक कोई जूं तक नहीं रेंगी। शायद ये किसी बडे गम्भीर हादसे के इंतजार में है।
जितेन्द्र पांचाल की रिपोर्ट
सहार
डॉ भीमराव अंबेडकर जी के 127 वे जन्म महोत्सव इसमें ग्राम प्रधान अजमल और सचिव विश्नू शर्मा जी की ने शिरकत की और भीमराव अंबेडकर जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर उन्होंने कहा कि सरकार का एक छोटा सा नारा है सबका साथ सबका विकास का नारा लेकर के हम भी काम कर रहे है | बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का को ध्येय बनाकर समाज मे नारिशशक्तिकरण का संकल्प लिया।
ग्रामीण बबुलाल नेता जी डालचन्द रामदास चेतराम मनोज प्रेमसिंघ मुकेशनाथ सिंह आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
जितेन्द्र पांचाल की रिपोर्ट
सहार
डॉ भीमराव अंबेडकर जी के 127 वे जन्म महोत्सव इसमें ग्राम प्रधान अजमल और सचिव विश्नू शर्मा जी की ने शिरकत की और भीमराव अंबेडकर जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर उन्होंने कहा कि सरकार का एक छोटा सा नारा है सबका साथ सबका विकास का नारा लेकर के हम भी काम कर रहे है | बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का को ध्येय बनाकर समाज मे नारिशशक्तिकरण का संकल्प लिया।
ग्रामीण बबुलाल नेता जी डालचन्द रामदास चेतराम मनोज प्रेमसिंघ मुकेशनाथ सिंह आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
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