स्वच्छ भारत के लिए कचरा प्रबंधन अति आवश्यक।
सूरज कुमार (लेखक और समाजसेवी) डीह, उन्नाव
हमारे घरों से निकलने वाले कचरे में बचा हुआ भोजन,रेत,बजरी,प्लास्टिक, धातुएं, शीशा इत्यादि है। ठोस कचरे में प्लास्टिक सबसे हानिकारक वस्तु है जो पर्यावरण को हानि पहुंचाता है।
केन्दीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार भारत के शहरों में लगभग 1.60 लाख मीट्रिक टन ठोस कचरा प्रतिदिन निकलता है। अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार देश मे हर साल लगभग 7.2 मीट्रिक टन खतरनाक औधोगिक कचरा, 1.7 मीट्रिक टन मेडिकल कचरा, 4 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा,1.5मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा व 48 मीट्रिक टन नगर निगम का कचरा निकलता है।
शहरों से निकलने वाले इस कचरे का निपटान एक बड़ी चुनौती है। कचरा प्रबंधन की योजना के बिना स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य असम्भव हैं। भारत की राजधानी दिल्ली में सन 1950 से लेकर अब तक 12 बड़े कचरे के ढेर बनाये जा चुके है जो लगभग सात मंजिल तक ऊँचे हैं। मुम्बई में सबसे बड़ा कचरे का ढेर 110 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला देवनार कचरा स्थल है। यहां 90 लाख टन कचरे का ढेर लग चुका है। इस कचरे की वजह से आस- पास की झोपड़ पट्टीयों में जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 60 बच्चे जन्म लेते ही मर जाते है। यही स्थिति भारत के अन्य महानगरों व शहरों की है। यहां कचरा लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक चुनौती बना हुआ है। कचरे के ढेरों से रिसकर जहरीला रसायन जमीन,हवा और पानी को दूषित कर देता है। कचरे के ढेरों के आस-पास रहने वाली आबादी अनेक गंभीर बीमारियों जैसे मलेरिया,टीबी,दमा और चर्म रोग से पीड़ित है।केन्दीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार भारत के शहरों में लगभग 1.60 लाख मीट्रिक टन ठोस कचरा प्रतिदिन निकलता है। अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार देश मे हर साल लगभग 7.2 मीट्रिक टन खतरनाक औधोगिक कचरा, 1.7 मीट्रिक टन मेडिकल कचरा, 4 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा,1.5मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा व 48 मीट्रिक टन नगर निगम का कचरा निकलता है।
सूरज कुमार (लेखक और समाजसेवी) डीह, उन्नाव
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