नशे की गिरफ्त में युवा, जगह-जगह स्लोचन व व्हाइटनर का नशा करते मिलते बच्चे रिपोर्ट-अमित मिश्रा झाँसी। यह है डिजीटल इंडिया, जहां नशे के सौदागर भारत की युवा पीढ़ी को गर्त में धकेल रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों ने तो नशे के लिए नए-नए तरीके इजाद कर लिए हैं। इनमें साइकिल के पंक्चर बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाला सिल्यूचन व गलत लिखे को हटाने में इस्तेमाल होने वाला व्हाइटनर भी शामिल है। यह नशा उन लोगों में ज्यादा प्रचलित है, जिन्हें नशा तो करना है, मगर उनके पास पैसे नहीं होते हैं। इनमें घर से भागे नौनिहाल विशेष रूप से शामिल हैं। रात का समय हो या फिर दिन का समय रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व अन्य चौराहों पर इस घातक नशे की गिरफ्त में पूरी तरह आ चुके ये नौनिहाल अस्त-व्यस्त हालत में मिल जाएंगे। बीस से 30 रुपए में मिल जाता है एक ट्यूब दिन भर किसी होटल, ढाबे पर काम करने अथवा भीख मांग कर जो पैसा कमाते हैं, उस पैसे से ये किशोर सिल्यूचन व व्हाइटनर का ट्यूब खरीद लेते हैं और कपड़े में उस टयूब को लगाकर मुंह व नाक से उसे सूंघते हैं। इससे नशा हो जाता है। यह टयूब उन्हें कहीं भी महज 20 से 30 रूपए में आसानी स
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