सती सीता के तपोभूमि से लेकर कामनाओं को पूर्ण करनेवाली शक्ति पीठ कामनादेवी की शरणस्थली तक आशीर्वाद और प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति से कृत कृत होते हुए।
बगहा:-सती सीता के तपोभूमि से लेकर कामनाओं को पूर्ण करनेवाली शक्ति पीठ कामनादेवी की शरणस्थली तक आशीर्वाद और प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति से कृत कृत होते हुए।
रिपोर्ट - दिवाकर कुमार
बगहा:-बगहा नगर के नैतिक जागरण मंच के सचिव व सन फ्लॉवर चिल्ड्रेन्स एकेडमी के प्रधानाचार्य निप्पू कुमार पाठक ने बताया कि सती सीता के तपोभूमि से लेकर कामनाओं को पूर्ण करनेवाली शक्ति पीठ कामनादेवी की शरणस्थली तक आशीर्वाद और प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति से कृत कृत होते हुए।किसी ने सच ही कहा है कि जब कई जन्मों के पूण्य फल उदित तब संत या शक्तिपीठ के दर्शन होते हैं।आज एकादशी व्रत के पावन अवसर पर मेरे मित्रगण आनंद कुमार सिंह,रविभूषण तिवारी और शिवाकांत तिवारी के अद्भुतपूर्व प्रयास और सहयोग के कारण मैं भी उन दुर्लभ व दिव्य देव व दवी स्थानों के दर्शन एवं आशीर्वाद पाने के साथ साथ प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।हमरी यात्रा वाल्मीकि व सीता के तपोभूमि से शुरू होकर नेपाल के मंगोलिड्ग के सनातन शास्वत धाम दाउन्ने की दुर्गा देवी के दर्शन करते हुए शक्तिपीठ माता मनोकामना देवी के चौकठ पर माथा टेकने के साथ संपन्न हुआ।एकदिवसीय इस यात्रा के दौरान एक छतरी भाँति पेड़ों को ढके हुए बादलों बीच से तो कभी गर्व से अपने शीश से आकाश को छुने की हसरत से सीधे खडे ऊँचे ऊँचे पर्वतों तथा वृक्षों के बीच गुजरना एक स्वर्गिक का आनंद दे रहा था।नदियों एवं झरनों के कलकल ध्वनियाँ वातावरण को गुंजायमान कर रहे थे।उस प्रकृति के गोद मे रहने जीव हो या फिर मानव अबोध बालक की भाँति वैसे ही सुशोभित हो रहे थे जैसे बादलों के बीच चन्द्रमा।जिस प्रकार वन मे शकुंतला का जो सौंदर्य राजा भरत देखकर मोहित हुये।वह सौंदर्य सोलह सिंगार करके भी न प्राप्त कर सकी।अतः देव तुल्य वृक्षों पर्वतों नदियों झरनों पशु पक्षियों की रक्षा व अविरल उनका गमन हमारा कर्तव्य है।उनकी रक्षा मे ही हमारी सुरक्षा हैं।
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