बगहा:- राम के राज्य में राम का और अटल के राज्य अटल का आखिर दुश्मन कौन है?
बगहा संवाददाता दिवाकर कुमार
बगहा:-बगहा नगर के नैतिक जागरण मंच के सचिव सह प्रधानाचार्य निप्पू कुमार पाठक ने बताया कि सदियों से यह बात कही जा रही है कि भारत भगवान राम का देश है।पर राम के आदर्शों पर चलने में सबसे बड़ी कठिनाई चालबाज राजनेताओं और अपने को बुद्धिजीवी समझने वालें प्रभु वर्ग ही है ।भगवान राम पितृ सेवा और भ्रातृ प्रेम के लिए राष्ट्रप्रेम और प्रजापालन के लिए जाने जाते हैं। राज्य के बंटवारे में उन्होंने स्वयं अपने बेटों लव और कुश को अयोध्या का राज नहीं दिया। सबसे पहले उन्होंने अपने भाइयों कोअलग अलग राज्य का राजा बनाया बाद अपने पुत्रों को राज्य दिया। परन्तु वर्तमान समय में देखा जाए तो शास्त्र बड़े भाई को पिता समान कहता है ।वहीं पिता समान भाई अपने ही छोटे पत्र समान छोटे अनुजों के साथ घोर अन्याय करता है ।अपना काम निकल जाने के बाद वह अपने भाइयों को निटठ्ला बताकर इतना बेईमानी कर बैठता है कि छोटे भाई और उनके बेटे या बेटियाँ दर्द ठोकर खाने को मजबूर हो जातें हैं। जबकि वह बुद्धिजीवी समाज में अपने को हमेशा परिवार के लिए समर्पित साबित करता है जो कहीं से देखने में या सुनने में नहीं आता तथा ऐसे लोग राम राज्य की कल्पना करते हैं।
बात करें अटल बिहारी बाजपेई की । तो जो लोग मरणोपरांत अटल बिहारी बाजपेई को विकास पुरुष, कविश्रेष्ठ अजातशत्रु ,मर्यादित व्यक्तित्व आदि वचन से संबोधित कर कर सम्मानित कर रहे हैं। वेहीं लोग मात्र केवल प्याज का दाम ₹60 हो जाने से उन्हें दूसरी बार प्रधानमंत्री के लिए नहीं चुनते हैं। जो जीवित अवस्था व्यक्तित्व के धनी विकासपुरुष उस महान विभूति का सम्मान न कर सके ।तो अब मगरमच्छ के आंसू बहाने से क्या फायदा ।अगर हमसभी सचमुच उनको श्रद्धांजलि ही देना चाहते है।तो हमें उनके समान ही मर्यादित जीवन को अपनाकर उन्हीं की तरह अजातशत्रु बनने का प्रयास करना चाहिए। तभी सच्चें अर्थ मे भगवान राम और श्री अटल बिहारी बाजपेई को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है। क्योंकि हमारा काम केवल दूसरी की कमी खोजना है। अंत में मैं यहीं कहूंगा कि रामराज और अटल जी की अनुपस्थिति में उनकी भूरी -भूरी प्रशंसा करने वाले हम लोग ही वास्तव में इन महापुरुषों दुश्मन है।
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