डा0 भीम राव अम्बेडकर जी के मार्गदर्शन में निर्मित संविधान की 68वीं वर्ष गांठ:
संविधान दिवस 26 नवम्बर 2018।
“हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व–सम्पन्न "समाजवादी" "पंथनिरपेक्ष" "लोकतंत्रात्मक गणराज्य" बनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को समाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिये तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिये दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। ”
अब माननीय मोदी जी के अंधभक्तों, संघियों,ई-संघियों, मु-संघियों, छ्दम राष्ट्रवादियों और उनकी वबाली मंडली से अनुरोध है कि आंख, नाक, कान, दिल और दिमाग खोल कर बहुत ध्यान से संविधान की उपरोक्त उद्देशिका को पढ़ें और मनन करें कि "पंथ निरपेक्षता" और "समाजवाद" का उपहास उड़ाना और इसे नकारना, संविधान का उपहास उड़ाना और इसे नकारना नहीं? इसे समझें।
संविधान के नकारने वाले को, वो लोग अपनी भाषा में क्या कहते हैं?
याद रखिये पंथ और धर्म निरपेक्षता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और समाजवाद इस महान देश की आत्मा हैं।
संविधान के एक अंश को भी नकारना पूरे संविधान को नकारना है और यह देशद्रोह है और ऐसा करने वाला देश द्रोही ही होगा न?
आज सीधे सीधे दो विचार धारायें आमने सामने हैं। एक देश के संविधान को मानने वाली, एक देश के संविधान को जलाने वाली।
हमें सोचना होगा कि यह देश गांधी, नेहरू, अम्बेडकर, मौलाना आज़ाद, पटेल, जैसे महान स्वतंत्रता संग्रामियों के रास्ते पर चलेगा, या नाथूराम गोडसे, गोलवलकर, हेगडेवार जैसों के बताये रास्ते पर?
यह देश हमेशा सबको साथ लेकर मोहब्बत बांटने वालों के साथ और संविधानुसार चलेगा या हमेशा से नफरत का नागपुरी ज़हर फैलाते हुऐ समाज को बांटने वालों और संविधान जलाने वालों के साथ चलेगा? संविधान जलाने वाले ग़द्दार थे, ग़द्दार हैं और हमेशा ग़द्दार रहेंगे।
इसलिये अब संविधान की हर प्रकार से रक्षा करना हर सच्चे हिन्दुस्तानी का कर्तव्य है।
पंथ और धर्म निरपेक्षता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और समाजवाद ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद!
बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी और उनके सभी साथियों को सादर नमन, हार्दिक आदरांजली और श्रृध्दांजलि !!!
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक - झांसी।
संविधान दिवस 26 नवम्बर 2018।
आईये आज संविधान दिवस पर देखें, क्या कहती है “भारत के संविधान” की ‘उद्देशिका’ :
“हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व–सम्पन्न "समाजवादी" "पंथनिरपेक्ष" "लोकतंत्रात्मक गणराज्य" बनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को समाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिये तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिये दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। ”
अब माननीय मोदी जी के अंधभक्तों, संघियों,ई-संघियों, मु-संघियों, छ्दम राष्ट्रवादियों और उनकी वबाली मंडली से अनुरोध है कि आंख, नाक, कान, दिल और दिमाग खोल कर बहुत ध्यान से संविधान की उपरोक्त उद्देशिका को पढ़ें और मनन करें कि "पंथ निरपेक्षता" और "समाजवाद" का उपहास उड़ाना और इसे नकारना, संविधान का उपहास उड़ाना और इसे नकारना नहीं? इसे समझें।
संविधान के नकारने वाले को, वो लोग अपनी भाषा में क्या कहते हैं?
याद रखिये पंथ और धर्म निरपेक्षता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और समाजवाद इस महान देश की आत्मा हैं।
संविधान के एक अंश को भी नकारना पूरे संविधान को नकारना है और यह देशद्रोह है और ऐसा करने वाला देश द्रोही ही होगा न?
आज सीधे सीधे दो विचार धारायें आमने सामने हैं। एक देश के संविधान को मानने वाली, एक देश के संविधान को जलाने वाली।
हमें सोचना होगा कि यह देश गांधी, नेहरू, अम्बेडकर, मौलाना आज़ाद, पटेल, जैसे महान स्वतंत्रता संग्रामियों के रास्ते पर चलेगा, या नाथूराम गोडसे, गोलवलकर, हेगडेवार जैसों के बताये रास्ते पर?
यह देश हमेशा सबको साथ लेकर मोहब्बत बांटने वालों के साथ और संविधानुसार चलेगा या हमेशा से नफरत का नागपुरी ज़हर फैलाते हुऐ समाज को बांटने वालों और संविधान जलाने वालों के साथ चलेगा? संविधान जलाने वाले ग़द्दार थे, ग़द्दार हैं और हमेशा ग़द्दार रहेंगे।
इसलिये अब संविधान की हर प्रकार से रक्षा करना हर सच्चे हिन्दुस्तानी का कर्तव्य है।
पंथ और धर्म निरपेक्षता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और समाजवाद ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद!
बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी और उनके सभी साथियों को सादर नमन, हार्दिक आदरांजली और श्रृध्दांजलि !!!
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक - झांसी।
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