हजरत इमाम हुसैन की याद में निकाला गया जुलूस
फरीदाबाद से बी. आर. मुराद की रिपोर्ट
फरीदाबाद:तनजीम-उल मोमिनीन की ओर से यहां मरकज अलखिजरा ए.सी.नगर में अल्लाह के आखरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब और उनके नवासे हजरत इमाम हसन और हजरत इमाम हुसैन अलैहिससलाम की शहादत के मोके पर 37 वीं सालाना मजलिस और उसके बाद जुलूस-ए-अलम का शानदार आयोजन किया गया। मजलिस की शुरुआत आजाद हसनैन जैदी अनवर ने हजरत मोहम्मद साहब और उनके नवासो की शहादत की याद मैं मरसिया मुखतारे कायनात रिसालत में आब थे,इस्लाम की हयात रिसालत में आब थे | पढ़कर सबको गमगीन कर दिया। इसके बाद शायरे एहलेबैत अली इमाम नोगान्वी ने पेश ख्वानी करते हुए अपनी तमन्ना का इजहार करते हुये कहा कि दीदार करबला का करार दे हमै खुदा,बेचैन हम है करबला जाने की चाह मैं" इसके बाद पर दान्दुपुर से तशरीफ लाये मौलाना ईरशाद अब्बास ने हुसैन और हिन्दुस्तान नामक विषय पर मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि सारी दुनिया मे आज तक सभी हुकमरानों ने दौलत या फिर तलवार की ताकत या फिर छल कपट करके हुकूमते की हैं लेकिन अकेले हजरत मोहमूमद और उनके नवासे इमाम हसन और इमाम हुसैने अलैहिससलाम ऐसे हुक्मरान हुये हैं | कि जिन्होंने लोगों के दिलों पर अपने अच्छे अखलाक़ के बल पर हुकूमत की है। यही वजह है कि आज सभी लोग जात-पात और धर्मवाद से ऊपर उठकर उनके गम में बराबर के शरीक होते है।मोलाना ने मजलिस मे मोजूद लोगों मुसलमानों का आह्वान करते हुए कहा कि आज दुनिया् मे इस्लाम के नाम पर जो आतंकवाद फैलाया जा रहा है उसका मुकाबला हम हजरत ईमाम हुसैन की तरह ही डटकर करे भले ही हमें इसके लिए अपनी जान की कुरबानी ही क्यों ना करनी पड़े | यही समय है कि जब हम सभी मुसलमानों को इस्लाम विरोधी स्वयं भू खलीफाओ को बेनकाब करने के लिए एक जुट होकर आगे आना होगा। अगर हम एेसा करने में सफल रहे तो हजरत मोहम्मद साहब और उनके शहीद नवासों के प्रति हमारी यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मजलिस के बाद निकाले गये जुलूसे अलम में अनजुमन हैदरी के सरपरस्त मोहम्मद हुसैन ने नोहा पढ़कर इमाम हुसैन की शहादत को याद किया। इसके बाद अन्जुमन मोमिनीन अमरोहा सादात के साहिबे बयाज आरिफ नकवी ने पैगामे करबला देते हुए नोहा ये सबक मिलता है हमको हजरते शब्बीर से रिश्तये अज्मो अमल कटता नही शमशीर से पढ़ कर तारीफ बटोरी। इस मोके पर उत्तर प्रदेश के गाँव मेमन सादात की अन्जुमन शैदाए हुसैनी के मैहमूद असगर ने नोहा ख्वानी करते हुए अपना पैगाम कुछ यूं दिया हम मातम की आवाजो से दुनिया को जगाने आए है जो बात कही थी जैनब ने उसको दोहराने आइये है। अन्जुमन नासिरान-ए-एहलेबैत नोएडा के साहिबे बयाज जाफरी ब्रदर्स ने जब ये नोहा अब्बास ना लौटे दरिया से,शाह आ गये मश्क आ गयी पढ़ा तो लोग करबला मैं हुये जुल्म को याद करके फूट-फूट कर रो पड़े। जुलूस मैं अन्जुमन अब्बासिया देहली के साहिबे बयाज शादाब हैदर ने चेहलुम है प्यासो का शोर हरम मैं है बरपा नोहा पढ़ा तो लोगों को ईमाम हुसैन की लाचार बहन हजरते जैनब की याद आ गयी जिसको दुशमनो ने करबला मैं शहीद अपने भाई हुसैन के जनाजे पे रोने नहीं दिया।इस जुलूस में परचम-ए-इस्लाम यानी अलम के साथ-साथ हिन्दुस्तान की आन-बान और शान का प्रतीक भारतीय तिरंगा लहराया जाना सभी के लिये विशेष आकर्षक बना रहा | तिरंगा साथ चलने की वजह बताते हुए तनजीम के प्रवक्ता अनवर जैदी ने बताया कि आतंकवाद के खिलाफ 1440 साल पहले करबला ईराक मैं लड़ी गयी पहली जंग मैं हिन्दुस्तान के मोहियाल ब्रहमनो ने ईमाम हुसैन का ना केवल उस समय दिया था कि बलकि अपनी जान की कुरबानीयां भी दी थीं। यही कारण है कि इस तरह के जुलूसो मे अलम के साथ तिरंगा लहराने की रस्म है। इमाम हुसैन करबला से हिन्दुस्तान आना चाहते थे पर उन्है दुश्मनो ने आने नही दिया ये ही वजह है कि शिया मुसलमान इस मुल्क को तमन्नाए हुसैन इब्ने अली भी कहते है।इस जुलूस मै शहर के विभिन्न धार्मिक गुरुओं, सामाजिक कार्य कर्ताओं और गणमान्य नागरिकों ने भी शिरकत करके लोगों को कौमी एकता का पैगाम दिया। इसको जुलूस को कामयाब करने मे तनजीम के सदर नकी हसनैन जैदी,सचिव ईशतियाक हैदर जाफरी,नायब सदर जनाब वसीम रिजवी, मेहदी हसन रिजवी,कैपटन अनवार, मैहमूद हुसैन, रजा हुसैन, सैयद सईद हसनैन जैदी, तनवीर हैदर,समाज सेवी मोहम्मद रजा जैदी,और तनजीम के प्रवक्ता आजाद हसनैन जैदी अनवर के अलावा फरीदाबाद और बाहर से आने वाली सभी अंजुमनो के मातमदार सभी हसैनी भाइयो की शानदार भूमिका रही |
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