बेजुबानों की मद्दद से दूर न भागे
प्रयागराज--
आज मैं कोचिंग जा रही थी तभी रास्ते में एक साड़ को चुटहिल अवस्था में देखने के बाद मेरा मन विचलित हो उठा। पर किसी ने भी उसकी यह हालत देख उसको उपचार के लिए पशु चिकत्सक को बुलाना मुनासिब न समझा, यह सब देख मेरा मन अधिक विचलित हो उठा पर मैं कर भी क्या सकती। जब मैंने एक अंकल जी से बोला की आप इसको उपचार के लिए किसी पशु चिकत्सक को बुला लो इस पर उन्होंने कहा बेटी तुम जाऊ ये तो आवारा जानवर मरने दो इसको मुझे उनकी यह बात पसन्द न आई पर मजबूर थी भला अकेली लड़की कर भी क्या सकती थी। उसके बाद मै अपनी कोचिंग चली गई। जब कोचिंग से वापस मैं आई तो देखा की साड़ अपनी नियत जगह पर न था। वहा पास खड़े लड़के से मैंने उस घायल साड़ के बारे मे पुछा तो उसने पास ही रोड किनारे एक खाली जगह की ओर जाने को बोला कहा वही पड़ा है साड़ । जब मैंने उस जाकर देखा तो आवारा कुते साड़ को लेकर जा रहे थे, और खून बह रहा था मैंने तुरन्त देर न करते हुए उस लड़के से कहा की इसके पैर में पट्टी बांध दो ताकि खून न बहे उसने कहा पागल हो क्या मै नही जाऊंगा बाँधने , और भी राह चलते लोगो से मैंने कहा पर किसी न मेरी एक न सुनी........सब यही कहते की बेटा तुम जाऊ वरना ये मरेगा।
आखिर में मैं यही कहना चाहूंगी की आप बेजुबानो जानवरो की मदद को आगे आये घबराये न
एकता शुक्ला की कलम से
प्रयागराज,यूपी
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