बगहा शहर की खुशी कुमारी ने प्लास्टिक के प्रयोग को बंद करने के हेतु एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार की है । जिसके कारण उसे न केवल जिला बल्कि राज्यस्तर पर लोगों ने सराहा और किया पुरस्कृत।
बगहा:-बगहा शहर की खुशी कुमारी ने प्लास्टिक के प्रयोग को बंद करने के हेतु एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार की है । जिसके कारण उसे न केवल जिला बल्कि राज्यस्तर पर लोगों ने सराहा और किया पुरस्कृत।
बगहा संवाददाता दिवाकर कुमार
बगहा:- प्लास्टिक को जो लोग दैनिक व रोजमर्रा के लिए एक आवश्यक वस्तु मानते है तथा प्लास्टिक के बिना कैसे काम चलेगा का ढिंढोरा पीटते हैं।उनके लिए खुशी कुमारी ने वह कर दिखाया है जिससे उनकी आंखें चौधियाँ जाएंगी और कान हवा निकलने लगेगी ।बगहा शहर की खुशी कुमारी ने प्लास्टिक के प्रयोग को बंद करने के लिए एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिसके कारण उसे न केवल जिला बल्कि राज्यस्तर पर लोगों ने सराहा और पुरस्कृत किया है ।उसकी माने तो उसका चयन अंतरराष्ट्रीय स्तर होने वाले बाल विज्ञान प्रदर्शनी में चयनित होने वाला है। खुशी कुमारी नरईपुर की निवासी है ।वह कोऑपरेटिव कोचिंग सेंटर नारायणपुर के वर्ग 9 की छात्रा है। खुशी ने प्लास्टिक से हो रहे प्रदूषण को देखते हुए एक प्रोजेक्ट बनाया । उसने बगहा के आसपास खेतों खासकर रेता और जंगलों में मिलने वाले घास विशेषतः राडी,खर-खरई, मूज पटेल आदि से बनाए जाने वाले दौरी, डलिया, मोनिया , हॉटपोट की तरह खाना रखने के लिए एक विशेष प्रकार के पात्र एवं फ्रिज की भांति फल व सब्जियों को ताजा रखने के लिए एक विशेष प्रकार के सीकौता एवं हाथ की चूड़ी व कलमदान तक बनाई तथा उनका परीक्षण भी किया एवं अपनी बात रखी। मेज पर शोभा देने के लिए कछुआ को भी उसने पेपरवेट के बदले बना कर अपने उद्देश्य को लोगों के सामने रखी।उसने बताया कि हॉटपोट में रखे गए रोटी व सब्जियां इन घासों से तैयार पात्रों मे कुछ ज्यादा देर गर्म रहती हैं और बर्बाद नहीं होती ।फ्रीज में रखे जाने वाले सामान की तुलना करते हुए , उसने बताया कि फ्रीज में जो सामान रखने पर जैसा पाया जाता है। ठीक उसी प्रकार मोनी डलिया में बंद करके रखे सामान फ्रिज की तरह ताजे रहते हैं ।उसने बताया कि खरपतवार से तैयार किए गए इन पदार्थों से प्रदूषण नहीं फैलाते और न तो इनका अस्तित्व पर्यावरण में बना रहता है। बल्कि ये बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है ।जो कुछ दिनों के बाद नष्ट हो जाते हैं। लेकिन अगर इन्हें सुरक्षित रखा जाए तो 2 से 5 वर्षों तक चलेंगे। खुशी की इन कामों के लिए कोऑपरेटिव कोचिंग के संचालक सह नैतिक जागरण मंच वेलफेयर ट्रस्ट के सचिव निप्पू कुमार पाठक और शिक्षक रसेन्द्र प्रसाद ने उसको पुरस्कृत किया।
आइए हम भी प्लास्टिक से दूरी बनाए तथा वृक्षों के पतियों व घास, खर -पतवार से तैयार होने वाले पर्यावरण सहयोगी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर दें । भविष्य में प्रदूषण से होने वाले हानि कारक बीमारियों से सबकी रक्षा करें में सहयोग करें ।
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