रिपोर्ट - जितेंद्र पांचाल
शिक्षा का स्तर गिरने में जिम्मेदार कौन?
सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने के लिये तमाम प्रयास कर रही है। लेकिन विभाग के अधिकारी उस पर पलीता लगाने से नहीं चूक रहे। सरकार के तमाम आदेशों के बाद भी अवैध रूप से चल रहे कई स्कूल अधिकारियों की मेहरबानी से अपनी दुकान चला रहे है। सहार एवं
कोसी के आसपास के क्षेत्र में करीब दो दर्जन से ज्यादा स्कूल है जो बिना मान्यता के चल रहे है। इन स्कूलों में न तो बच्चों के बैठने की सटीक व्यवस्था है और न ही आने जाने वाले वाहनों का कोई मानक। ये सभी स्कूल सरकारी आदेश की धज्जियां खुलेआम उडा रहे है। मसलन सहार की अगर बात करे तो गली मौहल्लों में एक दर्जन से अधिक स्कूल बिना मान्यता के खुलेआम चल रहे है। अगर इनके पास शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी आता भी है तो ले देकर चला जाता है। कई स्कूल तो ऐसे है जिन्हें तीन से चार वर्ष हो चुके है और बिना मान्यता के बच्चों को पढा रहे है। स्कूल से अगर बच्चा किसी दूसरे स्कूल में जाता है तो न तो ये उसे रिजल्ट देते है और न ही टीसी। कई अविभावकों की तो स्कूल संचालक से लडाई भी खुलेआम देखी गयी है। आखिरकार सरकार के शिक्षा सुधार कार्यक्रम की धज्जियां उडाते ये अधिकारी कब ईमानदारी से अपना कार्य करेंगे और अवैध रूप से चल रहे स्कूलों पर लगाम लगाकर बच्चों के भविष्य को सुधारने में सहायता करेंगे।
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