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अगर मैं योग्य हूं तो मुझे कोई नहीं रोक सकता हैं: अम्बेडकर।

आकांक्षा मिश्रा  पत्रकारिता विभाग एवं जनसंचार विभाग, कानपुर यूनिवर्सिटी




अगर मैं योग्य हूं तो मुझे कोई नहीं रोक सकता हैं: अम्बेडकर।




देश की सबसे बड़ी त्रासदी है आरक्षण! अयोग्य व्यक्ति जब ऊँचे पदो पर पहुँच जाते है तो ना समाज का भला होता है और ना ही देश का ! और सही बात तो यह है कि आरक्षण जैसी  चीजें मूल जरूरतमंदों के पास तक तो पहुँच ही नही पाती ! बस कुछ मलाई खाने वाले लोग इसका फायदा उठाते है ! आरक्षण जैसी चीजें चाहे वो गरीबी उन्मूलन हो या सरकारी राशन कि दुकानें ! सब जेब भरने का धंधा है और कुछ नही ! 1950 में संविधान लिखा गया और आज तक आरक्षण लागू है ! बाबा साहब अंबेडकर ने भी इसे कुछ समय के लिए लागू किया था ! अंबेडकर एक बुद्धिमान व्यक्ति थे !वो जानते थे कि ये आरक्षण बाद में नासूर बन सकता है इसलिए उन्होंने इसे कुछ वर्षो के लिए लागू किया था जिससे कुछ पिछड़े हुए लोग समान धारा में आ सके ! अंबेडकर ने ही इसे संविधान में हमेशा के लिए लागू क्यू नही किया? इसका जवाब तो हर किसी के पास अलग अलग होगा परन्तु सत्य यह है कि जिस तरह से शराबी को शराब कि लत लग जाती है इसी तरह आरक्षण भोगियों को इसकी लत लग गयीं है अब ये इसे चाह कर भी नही छोड़ सकते ! क्यूँकि बिना योग्यता के सबकुछ जो मिल जाता है तो पढने कि जरूरत ही कहा है? हर किसी को बहाना चाहिए होता है ! गलती से मै भी जाट हूँ और मेरे प्रदेश में जाटों को आरक्षण कि सुविधा प्राप्त है किन्तु ना तो मैंने कभी अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाया और ना ही कभी आरक्षण कि सुविधा का लाभ उठाया क्यूँकि यह मेरे आत्मसम्मान के ठेस पहुँचाने वाला होता ! अगर मै योग्य हूँ तो मुझे कोई नही रोक सकता यही धारणा मेरे मन में रही ! और आज उस परमपिता परमेश्वर की कृपा से मै इस योग्य हो चुका हूँ बिना आरक्षण के अपने वांछित पद पर हूँ ! योग्यता ही किसी पद को पाने का आधार होना चाहिए आरक्षण नही ! अब ये लोग कहेंगे कि योग्यता के आधार पर जाति की वजह से इन्हे नौकरी नही मिलती चाहे योग्यता हो भी ! सरकारी संस्थानों में सब कुछ अब प्रतियोगी परीक्षा से होता है ! अगर जाति की वजह से नौकरी नही मिलती तो अंबेडकर इतने बड़े पद पर नही पहुँच पाते ! और गैरसरकारी संस्थानों में कौनसा आरक्षण है? वहा सब जाति के लोग काम करते है ! और कोई किसी कि जाति नही पूछता ! सब मिलकर खाना खाते है पार्टी करते है ! उनके बीच कभी जातिवाद की दीवार नही आती !मेरे पिछले लेख में मैंने संविधान में कुछ मूलभूत संशोधनों की बात की थी उसमें एक बिन्दु आरक्षण का भी था ! परन्तु कुछ आरक्षण भोगियों ने पुरे लेख में सिर्फ़ आरक्षण वाली बात को देखा ! अब किसी के खाने पर मै बुरी नजर लगाऊँगा तो वो मुझे कोसेगा ही ! यही मेरे साथ हुआ और मुझे ये लेख लिखने के लिए प्रेरित कर दिया !

सबसे पहले बात आती है जातिवाद की और मनुवाद की ! जातिवाद फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार थे? हर किसी ने मनु को अपना निशाना बना लिया ! मुझे तो ये तक नही पता था कि मनु ने ऐसा कुछ लिखा भी है या नही ! फिर मैंने मनु सहिंता का अध्य़यन किया तो मुझे पता लगा कि उसमें वर्ण व्यवस्था का वर्णन है और स्पष्ट रुप से लिखा है कि जो ज्ञान का ग्रहण नही करता वह शुद्र होता है मुझे तो यह भी नही पता कि शुद्र कौन है ? आरक्षण भोगी विद्ध्वानो आप बताओ? शुद्र नाम से तो कोई जाति ही नही है ! आरक्षण भोगियों में तो बहुत सी जाति है ! ज्ञान ना ग्रहण करने से तो व्यक्ति सर्वनाश की और बढ़ता है ! इतिहास का भी मै जानकार नही हूँ परन्तु एक सीधी सी बात जो कोई भी समझ सकता है वो इन बुद्धि जीवियो के समझ में नही आती कि अज्ञान के अंधकार में जाने वाले कौन लोग थे? और कौन लोग वो थे जिन्होंने इन पर अत्याचार किया? आज भी गरीबों के साथ अत्याचार होता है ! चाहे वो किसी भी जाति का हो ! अत्याचार जाति देख् कर नही अपितु आर्थिक और शारीरिक शक्ति देख् कर किया जाता है ! कमजोर को सब सताते है परन्तु ताकतवर से सब डरते है ! ये सीधी सी बात महान बुद्धिजीवियों के समझ में नही आती !चलो मान भी लिया कि मनु ने जबरदस्ती आप लोगो से अपने नियम मनवाये होंगे और दूसरी वर्णों को आपके खिलाफ भड़काया होगा तो क्या आप संगठित होकर दुसरे वर्णों को सहयोग देना बंद नही कर सकते थे
सच तो यह है कि ऐसा कुछ भी नही था ! जो सताया गया अपनी अकर्मण्यता और ज्ञान ना होने की वजह से सताया गया ! पहले तो ज्ञान प्राप्त करने के लिए मेहनत नही की बाद में जीविका उपार्जन के लिए कुछ ना कुछ तो कार्य करना ही था जैसा कि आज होता है जो ज्ञान प्राप्त कर लेता है वो ऊँची जगह पहुँच जाता है और अज्ञानी वही पर घास खोदता है ! और धीरे धीरे ये अन्तर बढ़ जाता है ! आपने देखा भी होगा एक जगह खेले और पढ़ें हुए भाइयों की संतानें कुछ तो पढ़ लिख कर बहुत ऊँची जगह चली जाती है और जो पढने कि जगह मस्ती में ध्यान रखते है वो उस स्तर से भी गिर जाते है जहां पर उनके माता पिता ने उन्हें छोड़ा था ! आज भी यही बात है और पहले भी यही बात थी ! और धीरे धीरे उनका आर्थिक एवं सामाजिक स्तर इतना भिन्न हो जाता है कि कोई कहाँ पहुँच गया और कोई कहा रह गया ! और मानो कुछ समय बाद मस्ती में अपना सब कुछ बरबाद करने वाले कि संतानें पढने लिखने वालों की संतानों को अपने उस हाल का दोषी मानती है तो क्या यह नैतिकता हैदूसरी बात ब्राह्मणों ने उन्हें इस दशा में पहुँचाया ! हिंदू धर्म में आज भी इतनी आजादी है कि आप किसी के यहा काम करे ना करे आपको कोई मजबूर नही कर सकता ! पहले भी यही थी ! मैंने तो इतिहास में कोई धनिक ब्राह्मण या किसी राजा की जाति को ब्राह्मण नही सुना (एक दो अपवाद हो सकते है) और ब्राह्मण भी तो गरीब ही थे ! वो भी तो सिर्फ़ अपने ज्ञान के सहारे अपना जीवन व्यतीत करते थे ! अपवाद तो हर जगह होते है परन्तु वो अपवाद समाज नही होते ! बस एक विरोध में माहौल तैयार किया जाता है ! और यही आज हो रहा है पहले भी होता रहा ! अपनी गलतियां कोई मानने को तैयार नही होता और हर बात का दोष दूसरों को देता है यही हुआ है और आगे भी होगा ! शुद्रों ने अपनी दुर्दशा का जिम्मेदार ब्राह्मणों को ठहरा दिया और स्वयं की जिम्मेदारी से बच गए !खैर ये तो इतिहास की बातें है पूर्ण सत्य का तो किसी को पता नही परन्तु इतना जरूर है कि तथ्यों को देखते हुए विश्लेषण किया जा सकता है ! आज जो जातिवाद की बातें होती है वो सिर्फ़ आरक्षण की मलाई खाने के लिए होती है क्यूँकि मुँह को आदत जो लग चुकी है बिना कुछ किए पाने की ! बिना मेहनत के मेहनतशील लोगो से आगे जाने की ! इन जैसे लोगो की वजह से देश आगे नही बढ़ पा रहा क्यूँकि बिना ज्ञान के अगर कोई ऊँचे पद पर सिर्फ़ जातिगत प्राप्त सुविधा के हिसाब से जाता है तो वो वहा पर कार्य भी कैसा करेगा? क्यूँकि बिना योग्यता के वो पद तो उसने पा लिया परन्तु पद पाने के बाद जिन उत्तरदायित्वों का निर्वाह उसे करना है बिना योग्यता के वो उन उत्तर दायित्वों का निर्वाह नही कर पाता जिससे देश और समाज दोनों का अहित होता है ! इतिहास में तो बहुत कुछ हुआ है उसका रोना लेकर अगर हम आज भी रोते रहे तो देश कैसे आगे बढ़ेगा? इतिहास में क्या ग़लत हुआ और क्या सही ये सबके अपने अपने तर्क और सोच है किन्तु वर्तमान में तो युवा देश उन सब बातों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ रहा है परन्तु ये आरक्षण भोगी लोग सिर्फ़ अपने व्यक्तिगत् स्वार्थ के चलते जातियों के नाम पर देश को तोड़ने की बात करते है ! इतिहास में ये हुआ और ये हुआ इस तरह की काल्पनिक बातों का हवाला देकर देश को दीमक की तरह खोखला कर रहे है ! जातिवाद सिर्फ़ एक राजनैतिक समस्या है अब ! स्कूलों में पढने वाले बच्चे अपने सहपाठी कि जाति नही जानते ! सिर्फ़ उसे अपना मित्र समझते है ! बहुमंजिला इमारतों में सभी जातियों के लोग सदभाव से रहते है ! धीरे धीरे जातिवाद खत्म हो रहा है ! परन्तु ये लोग उसे खत्म नही होने देंगे क्यूँकि ये लोग जानते है कि अगर शोर ना मचाया तो कुछ पीढ़ियों के बाद आने वाली सन्तति भूल जायेगी कि जाति क्या होती है !  परन्तु इन लोगो को डर है कि ये होने के बाद कही आरक्षण कि मलाई हाथ से ना निकाल जाए और जाति के नाम पर चलने वाले वोट बैंक बंद ना हो जाए ! ऐसे लोग अपने ख़ुद के उद्धार के लिए जातिवाद को जीवित रखने का प्रयास कर रहे है !जिस तरह देश में फर्जी स्कूलों कि बाढ़ आ चुकी है और हजार हज़ार में डिग्रियाँ बिक रही है जिससे वो लोग डिग्री तो पा लेते है किन्तु अपने दायित्वों का निर्वाह नही कर पाते क्युंकि योग्यता तो होती नही ! परिश्रम किए बिना ही पद मिल गया ! वही स्थिति जाति प्रमाण पत्र की है कि बिना परिश्रम के जाति प्रमाण पत्र के सहारे पद मिल जाता है ! फिर देश का नाश हो या सत्यानाश इन्हे कोई फर्क नही पड़ता !जातिवाद देश को तोड़ने का काम करता है जोड़ने का नही ! ये बात इन लोगो कि समझ में नही आएगी क्यूँकि समझने लायक क्षमता ही नही है ! देश के विषय से इन्हे प्यारा है आरक्षण ! दूसरों कि गलतियां निकाल कर ख़ुद को दोषमुक्त और दया का पात्र बनाना ! आरक्षण जिसे ख़ुद अंबेडकर ने 20 साल से ज्यादा नही चाहा और जिसे ये लोग मसीहा मानते है उसके बनाए हुए नियम को ख़ुद तोड़ते है सिर्फ़ अपनी आरक्षण नाम कि लत को पूरा करने के लिए ! वैसे भी जब किसी को बिना किए सब कुछ मिलने लगता है तो मेहनत करने से हर कोई जी चुराने लगता है और वह आधार तलाश करने लगता है जिसके सहारे उसे वो सब ऐसे ही मिलता रहे ! यही आधार आज के आरक्षण भोगी तलाश रहे है ! कोई मनु को गाली दे रहा है तो कोई ब्राह्मणों को ! कोई हिंदू धर्म को ! तो कोई पुराणों को ! कुछ लोग वेदो को तो कुछ लोग भगवान को भी ! परन्तु ख़ुद के अन्दर झाँकने का ना तो सामर्थ्य है और ना ही इच्छाशक्ति !जब तक अयोग्य लोग आरक्षण का सहारा लेकर देश से खेलते रहेंगे तब तक ना तो देश का भला होगा और ना समाज का और ना ही इनकी जाति का ! देश के विनाश का कारण है आरक्षण ! आज हर जाति में अमीर है हर जाति में गरीब ! हर जाति में ज्ञानी लोग है और हर जाति में अज्ञानी ! हर जाति में मेहनत कश लोग है और हर जाति में नकारा , हर जाति में नेता है और हर जाति में उद्द्योगपति ! देश को तोड़ रहा है सिर्फ़ जातिवाद वो भी कुछ लोगो की लालसा, वोट बैंक की राजनीति के माध्यम से !  जिस दिन हर जाति के लोग जात पात भुलाकर योग्यता के बल पर आगे जायेंगे और योग्यता के आधार पर देश का भविष्य सुनिश्चित करेंगे देश ख़ुद प्रगति के रास्ते पर बढ़ चलेगा।

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