रिपोर्ट - मान सिंह
तालाबों में पानी न होने के कारण पशु पक्षी बेहाल
बीघापुर /उन्नाव -
तालाब खुद प्यासे हैं ,नहरें सूख गई हैं, बूंद-बूंद पानी के लिए बेजुबान पशु पक्षी ही नहीं पेड़ पौधे भी तरस रहे हैं। एक ओर सरकार जल संरक्षण को बढ़ावा देने का अभियान चलाया रही है तो दूसरी तरफ भू माफियाओं,वन माफियाओं की साठ-साँठ के चलते तालाब और झीलें पाटी जा रही हैं और पेड़ों को काट कर वीरान किया जा रहा है। जो नहर, तालाब,झीलें बची भी हैं उन नहरों झीलों तथा तालाबों में पानी न होने के कारण पशु पक्षी बेहाल है। विकासखंड के लगभग किसी भी तालाब में पानी नहीं है । जिन तालाबों में थोड़ा बहुत पानी है, उनमें कीचड़ और दलदल भरा हुआ है। जब अभी से यह हालात है तो मई-जून में क्या हालात होंगे अनुमान लगाया जा सकता है। अगर यही हालात रहे तो पशुओं और पशुपालको के लिए मुश्किल आना तय है, क्षेत्र की नहरें सूखी हैं। किसानों के लिए यह नहरें अनुपयोगी हो चुकी हैं। वैसे क्षेत्रीय विधायक जो वर्तमान समय में विधानसभा अध्यक्ष भी हैं । जिन्होंने क्षेत्रीय जनता से वादा किया था की क्षेत्र की नहरों में पानी जरूर आएगा ।वहीं उनके प्रयासों से काफी दिनों से बंद चल रही नहरों में पानी आया भी ।परंतु वह ज्यादा दिन तक नहीं चल सका नहरे अपनी पुरानी हालत में पहुंच चुकी हैं । प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी क्षेत्रीय *विधायक* के कहने पर नहरों में पानी आने का वादा किया था ।परंतु सूखी नहरों व नहरों की दुर्दशा को देखकर लगता है फिलहाल अभी हाल फिलहाल कुछ नहीं होने वाला । प्रकृति भी रूठी लगती है क्योंकि बरसात भी अच्छी न होने के कारण ताल तलैया सूखे रह जाते हैं ।जिससे क्षेत्र का जल स्तर भी नीचे गिरता जा रहा है । वही क्षेत्र की नहरें भी सरकारी जुलमेबाजी से धोखा ही दे रही हैं।अब क्षेत्र की यह समस्या कैसे दूर होगी रामजाने।
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