सूखे ने शोखी बासमती की *महक*
उन्नाव: खरीददारों की बेरुखी से इस बार देश और विदेश में प्रसिद्ध जनपद उन्नाव के बासमती चावल की खुशबू गायब सी हो गयी है। निरन्तर बढ़ते ताप और बीते सालों में पड़े सूखे के कारण धान की गुणवत्ता कमजोर होने से बाजार में धान की मांग ही नही हो रही है। एक ओर जंहा धान की कीमत गिरने से व्यापारी वर्ग परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर तो बासमती धान की खेती करने वाले किसानों का तो बुरा हाल है।
बासमती धान की खेती करने वाले किसानों की माने तो करीब पांच साल पहले बासमती की कीमत साढ़े तीन हजार रुपये प्रति कुंतल थी। इसके बाद यहाँ के बासमती धान की मांग देश की कोने-कोने के साथ ही खाड़ी देशों में मांग बढ़ने से हरियाणा व पंजाब के व्यापारी भी यहाँ धान खरीदने आने लगे थे। इससे उसके दाम में खास कर बढोत्तरी हुई थी , और उच्च गुणवत्ता वाले बासमती धान का मूल्य साढे पांच हजार रुपये तक पहुंच गया था। लेकिन बीते कुछ सालों से पड़े सूखे से धान की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है।
*लगभग सात एमएम घट गया बासमती का आकार*
बासमती धन के व्यापारियों की माने तो इस बार एक्सपोर्ट क्वालिटी के धन के आकार का जो स्टैंडर्ड साइज होता है,वह 708 एमएम लम्बा होना चाहिए,लेकिन इस बार जिले की फर्स्ट क्वॉलिटी की लंबाई 700 से701 एमएम तक ही रह गयी है। और यह काफी हल्का भी हो गया है।
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